Friday, June 19, 2009

प्रेम

प्रभु ने आपको अपार प्रेम दिया है, घुट-घुटकर क्यों जीते हो, प्रेम से जियो

प्रेम अनुभव की चीज़ नही है, वह स्वयं अपने आप में है, जब आप किसी से मिलते हो, मिलते ही खुश हो जाते हो, खुश होते हो.इसके लिए आपने कोई प्रयत्न नही किया, यह अनुभव हुआ या अपने आप हुआ ?

प्रेम माँगने से कम होता है, देने से बढ़ता है. क्यों की हर व्यक्ति प्रेम चाहता है. प्रेम चाहने से नही, देने से होता है.


अपेक्षा और चाह छोड़ो, हँसो और हंसाओ. प्रेम करो, प्रेम बाँटो, आपका स्वरूप वही है

प्रेम में डूब जाना जीवन है, प्रेममय हो
जाओ

मनुष्य का प्रकृति की और से स्वाभाव प्रेम का ही है, यह न घटता है न ही बढ़ता है,यह उसी प्रकार है, जैसे पानी का स्वाभाव है, शीतल रहना

देखने से, मिलने से प्रेम होता है, प्रेम से प्यार को जाता है. प्यार से त्याग हो जाता है, फिर त्याग ज्ञान में बदल जाता है की में वही हूँ.

हम जिससे प्रेम करते हैं, उसकी हर बात बहुत ध्यान से सुनते है. उसका हर काम, हर बात बहुत ही अच्‍छी लगती है, सुंदर लगती है. सबसे प्रेम करो, सब सुंदर लगेंगे.

प्रेम व्यकाती से मत करो, उसकी आत्मा से, चेतना से करो. व्यक्ति से प्रेम करोगे तो आसक्त हो जाओगे. उलझन पैदा होगी, फिर उलझ जओगे

तुम दानी बनो, धन का नहीं, ज्ञान का.दुःख का नहीं, सुख का, अशांति का नहीं, शांति का.उदासी का नहीं, प्रेम का दान करो

तुम्हे, हूमें, कुछ नहीं करना पड़ता. परमात्मा ने बहुत प्रेम दिया है.जितना बाँटते है, उससे दस गुना बढ़ता है

ज्ञान तथा प्रेम के रास्ते में चलने से ऐसा देखने मैं आया है की जो इस रास्ते को अपनाता है, वह आनंद, प्रेम और खुशी पाता है

Monday, June 8, 2009

गुरु के पास होना

Q:क्या तुम सच मच मेरे आस पास हो
(are you in some ways close to us always?)
श्री श्री: आस पास नहीं , में तो तुम्हारे पास पास हूँ
(not in some ways - in all ways I am close to you)