Thursday, May 29, 2008

29/05/2008

Play vs. War
When "winning" and "losing" don't have any meaning, that is when the real game happens, play happens। Otherwise it is war. War has a significance for winning or losing.

जब "जीतना" और "हारना" कोई अर्थ नही रखता, तब वेह वास्तविक खेल होता है । अन्यथा वह युद्ध है । युद्ध मैं जीतने और हारने का महत्व है .

28/05/2008

Self Only
Only the Self exists। Nothing else exists.
केवल आत्मा रहती है । दूसरा कुछ नही रहता ।

Tuesday, May 27, 2008

27/05/2008

The Illusion of self
The self as a different entity, an object, is what people are trying to see। That is an illusion।

लोग आत्मा को एक अलग अस्तित्व ,
एक वस्तु के रूप मैं देखने का प्रयास करते हैं ।
ये एक धोखा है ।

Monday, May 26, 2008

Interview With Mahesh Giri - Hemant Parikh & Mahesh Giri

Interview With Mahesh Giri - Hemant Parikh & Mahesh Giri
Interview With Mahesh Giri - Hemant Parikh & Mahesh Giri

26/05/2008

You Are Nobody
Drop this identity---that you are somebody। You are nobody। You are nothing. You are the Non-Dual.

इस पहचान को छोड़ दो --की तुम कोई हो । तुम कोई नहीं हो। तुम कुछ नहीं हो। तुम अद्वैत हो

25/05/2008

You are not the body
You are not the body/mind complex। You are the eternity.

तुम शरीर या मन का मिश्रण नहीं हो । तुम अनंत हो ।

24/05/2008

Thou Art Supreme
That which is unmoved, like the ocean without waves, that which is free and pure, that which exists in the three periods of time---the past, present, and future---that supreme art Thou। Meditate on this and realize, right now.

वह जो अटल है , जैसे सागर बिना लहर के, वह जो स्वतंत्र और पवित्र है , वह जो तीनो कल्नो मैं विद्यमान है ----भूत, वर्त्तमान और भविष्य ----वह सर्वशक्तिमान ब्रह्म तू है । इस पर ध्यान करो और इसे समझो और पालन करो ।

Saturday, May 24, 2008

23/05/2008

You are not going to die #2
Though you may feel, " I am going to die; I am old getting old," --- this is superficial. Deep down inside you, you know for sure you are not going to die. You are beyond death.
अगर तुम यह सौचते हो , "मैं मरने वाला हूँ ; मैं दिन प्रति दिन वृद्ध हो रहा हूँ ," ---- यह उपरी है । तुम अपने अन्दर यह जानते हो, तुम्हे विश्वास है की तुम मरने वाले नहीं हो । तुम मृत्यु से परे हो।

Thursday, May 22, 2008

22/05/2008

You are not going to die
You pity someone who has died, because you have the feeling that you are not going to die. And this is true. Something deep in you never dies. That's why you never feel that you have aged or you are going to die.
जो मर गया है तुम उस पर दया करते हो , क्योंकि तुम यह सोचते हो की तुम मरोगे ही नही । और यह सत्य है । कुछ तुम्हारे अन्दर ऐसा है जो कभी नहीं मरता । इसलिए तुम यह कभी नही सोचते हो की तुम्हारी आयु हो चुकी है या तुम मरने वाले हो ।

Wednesday, May 21, 2008

21/05/2008

Reality
No one ever feels that one is going to die। You know why? Because that is the reality!

कोई भी ये कभी नहीं सोचता है की वह मरने वाला है .
तुम जानते हो क्यों ? क्योंकि यही सत्य
है ।

20/5/2008

Beyond Birth And Death
There is something in you that is beyond death। And that is before birth, also.

तुम मे कुछ ऐसा है जो मृत्यु के परे है । और वह जन्म से पूर्व भी है ।

Tuesday, May 20, 2008

19/05/2008

Now or Later
If you are upset, you don't say, "Ok, tomorrow, I'll get upset. Today let me not get upset." But anything good, anything that is uplifting the Self, we have a tendency to postpone: "I'll do it tomorrow, later on, another time."

जब तुम परेशां होते हो, तुम यह नहीं कहते , "ठीक है , कल , मे परेशां हो जाऊंगा । आज मैं परेशां नहीं होता " परन्तु कुछ भी अच्छा, कुछ भी ऐसा जो अपने को ऊपर उठता है ,
हमारी प्रवृति है। उसे टाल देने की : "मैं इसे बाद मे , किसी और समय, कल करूँगा "

18/5/2008

Walls of Concepts
Your own concepts have created "walls" and so you need a "door." But when there are no concepts, there are no walls.

तुम्हारे अपने विचारों ने ही "दीवार" की रचना कर ली है और इसलिए तुम्हे एक "दरवाजा" चाहिए । परन्तु जहाँ विचार नहीं है ,वहां दीवार नहीं है

17/05/2008

Know Thought as Thought
Knowing a thought as thought brings the freedom. When you know a thought as a reality, that is when you are stuck.

विचारों को केवल विचार जानना ही स्वतंत्रता लाता है। जब तुम विचारओं को सत्य समझ लेते हो तब तुम रुक जाते हो .

16/05/2008

Everything is Just a Thought
Wake up and realize this is all made up of thoughts, just thoughts, just thoughts। Your appreciation of beauty is a thought, your aversion to an object that is ugly is a thought। Your craving or aversion is nothing but a passing thought in the mind. Realize this is just a thought and you will be free.

जागो और जानो यह साब विचारों द्वारा बना है , केवल विचार, केवल विचार, तुम्हारा सुन्दरता की प्रशंसा करना एक विचार है , तुम्हारी घृणा किसी कुरूप वस्तु के प्रति भी एक विचार है । तुम्हारी लालसा या घृणा और कुछ नहीं केवल एक गुजरने वाले मन केविचार है । इसे केवल एक विचार समझो और तुम मुक्त हो जाओगे।

Friday, May 16, 2008

15/5/2008

Illusions
You build a world in your mind only through your intentions, your own thought processes। You go on building a castle: what the other person is thinking about you---they may not even think about you anything. You may simply not exist in other person's consciousness, for they are worried about themselves. But you build a big castle about what they are thinking about you in your mind.

तुम अपनी दुनिया अपनी अकन्षाओं द्वारा अपने मन मैं बना लेते हो, तुम्हारे अपने ही विचारों की प्रकिया से। तुम महल बनाते रहते हो : दूसरा व्यक्ति तुम्हारे बरे मैं क्या सौच रहा है, चाहे वो तुम्हारे बारे मैं कुछ भी ना सोच रहा हो ।
तुम चाहे दुसरे व्यक्ति की चेतना मैं हो ही नही,
क्यों की वो अपने बरे में चिंता करते रहते हैं ।
परन्तु तुम अपने मन मैं बड़े-बड़े महल बना लेते हो की वेह तुम्हारे विषय मैं क्या सौच रहे हैं ।

14/5/2008

Sutra :Bad and Worse
Where is the choice? The choice is only between the bad and the worse। When you realize this you'll drop both those conflicting thoughts and relax---the awareness becomes choiceless. Choiceless-ness leads to confusionless state of mind. Choiceless awareness is the only joyful state, a peaceful state, a state without confusion.

चुनाव कहाँ होता है ? चुनाव केवल बुराए और अधिक बुराए के बीच मैं होता है । जब तुम इसे जान लेते हो तब तुम इस विरुद्ध विचारों को छोड़ दोगे और विश्राम करोगे । चुनाव रहित सजगता हो जायेगी । चुनाव ना करने की प्रक्रिया दुविधा रहित मन की अवस्था मे ले जाती है । चुनाव रहित सजगता ही खुशी की अवस्था , पूर्ण शान्ति की अवस्था , दुविधा रहित अवस्था है .

Wednesday, May 14, 2008

13/5/2008

The Problem with Choices
The moment there is choice it drops you off of joy, it drops you off of peace।

जिस समय तुम चुनाव करते हो तुम आनंद से दूर हो जाते हो ,
वेह तुम्हे शान्ति से दूर ले जाता है ।

Tuesday, May 13, 2008

12/5/2008

5/12/2008
Subject Letting Go The more you beg, the more you crave for something, the further away it goes. And the moment you drop it and just repose in the Self, you'll find all those things come, manifold.

जितना अधिक तुम मांगते हो , उतनी ही अधिक तुम्हारी लालसा बढ़ जाती है ,
और वह अधिक दूर हो जाती है ।
और जिस समाया तुम इसे छोड़ते हो और केवल अपने अन्दर विश्राम करते हो ,
तुम उन सारी विविध प्रकार की वस्तुओं को पास आते पाओगे ।

सद गुरु श्री श्री रवि शंकरजी

सद गुरु श्री श्री रवि शंकरजी
प्राचीन वैदिक ज्ञान की शुद्ध परम्परा को आधुनिक युग की आवश्यकता मी ढालते हुए , श्री श्री रवि शंकरजी दिव्यता, सहजता, सरलता, आत्मीयता और प्रेम की गरिमा को अपने मी समेटे हुए, पृथ्वी पर जीवन को सुशोभित करने आये है। विश्व भर वे मानव-उत्थान का नेतृत्व कर रहे हैं । अनेक राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय उपाधियों से इन्हे अलंकृत किया गया हैं ।

श्री श्री का जन्म 13 May को हुवा इस लिए वोह कहते है " मैं तेरा और तेरा मैं "

उनका जन्म दक्षिण भारत के एक सम्पन परिवार मे हुआ । चार वर्ष की चोटी सी अवस्था मे ही आपको गीता के शलोक कण्ठस्थ थे । बचपन मे घंटो ध्यान मे बैठना और पूजा करना आपके प्रिय खेल थे । सत्रह वर्ष की आयु मे आपने आधुनिक विज्ञान और वेदों का अध्ययन सम्पन्न किया । उसके बाद आपने एकांत साधना और संत - संगति मे कई वर्ष बिताये । सन् १९८४ मे श्री श्री रवि शंकरजी की देश-विदेश में यात्राएं और जग-कल्याण हेतु असंख्य लोगो को चिंता व तनाव से मुक्ति का मार्ग-दर्शन आरंभ हुआ ।

गुरुदेव में एक साथ ही यीशु का स्नेह, बुद्ध का मौन, कृष्ण की बल चपलता और आदि शंकराचार्य का विवेक है । आपके प्रेम एवं ज्ञान के प्रकाश से हजारों अंधकार से भरे जीवन प्रकाशमय हो रहे है । जीवन एक उत्साह है , जीवन एक प्रेम और आनंद है , इस बात का अनुभव आपके सम्पर्क मे आने से सहज ही होता है ।

आपकी सभाओं मे आने वाले स्त्री एवं पुरूष, युवा एवं वृद्ध आस्तिक एवं नास्तिक, साधारण व्यक्ति , विभिन्न विचार - धारा से प्रभावित सभी व्यक्ति अपने ह्रदय में एक नये प्रेम एवं जागृति का अनुभव करते हैं । अनेक की मानसिक बाधाये दूर होती है और उन्हें नये जीवन की प्रेरणा मिल रही है ।

उपनिषद् मैं सद् गुरु के पाँच लक्षण बताए गए हैं

समृद्धि, ज्ञान रख्सा, दुःख - क्षय, सुख - आवीभार्व एवं सर्वसम्वधॅन -

ये पांचो लक्षण हर समय आपके आस पास प्रकट पाए जाते हैं गुरुदेव की युवावस्था, श्वेत परिधान एवं ज्ञान की विशालता को देखकर ह्रदय में दक्षिणामूर्ति की स्मृति साकार हो उठती है । आपके मौन में मुखरता एवं मुखरता में मौन की सुखद अनुभूति होती है. आपके साकार रूप में भी अवर्णनीय निराकार का आभास मिलता है. आप के समक्ष आने से ही मन की अनेक जटिल समस्याओ का स्वतः समाधान हो जाता है, मन के प्रस्न खो जाते हैं एवं शांति का अनुभव होता है. बाहरी जीवन में पुष्टि और आंतरिक जीवन में तृप्ति मिलती है . प्रतिदिन सायंकाल में भक्त-प्रेमीजनों के साथ सत्संग के समय भजन एवं ज्ञान-चर्चा के द्वारा आप जीवन को एक प्राथॅना में बदल देते हैं. सभी और आनंद एवं उत्सव भावना की लहर फेल जाती है. कभी- कभी आप सत्संग के समय भावमग्न होकर नृत्य करने लगते हैं तथा कभी आपके आसपास तरह-तरह के फूलों एवं चन्दन की सुगंध से वातावरण महक उठता है.

ऐसे दिव्य सद् गुरु के आवीभार्व से मानवता को नई दिशा मिल रही है.

Monday, May 12, 2008

5/11/2008

Sutra
Subject begging
There is a throne, why don't you sit in that throne? It is for you। You are walking around with a torn cloth, in a shabby state, begging for things that anyway belong to you. Stop being a beggar. And craving is nothing but being like a beggar.

एक राज सिंहासन है तुम उस पर क्यों नहीं बैठ जाते? यह तुम्हारे लिए ही तो है
तुम फटे कपड़े पैहने घुमते हो, मैली कुचैली अवस्था मैं
उन चीजों की भीख मांगते हो जो तुम्हारी अपनी ही हें
भीखारी मत बनो, और लालसा करना भीखारी बनने के समान है।