Sunday, July 5, 2009

भीतर से जुड़ जाना

योग का मतलब भीतर से जुड़ जाना , जैसे की हम अपने मोबाइल को चार्ज करते हैसंसार का काम है बात करते रहना. क्या आप मरे हुवे फोन से बात कर सकते है ? नही नाआप को फिर से फोन को दुबारा चार्ज करना पड़ता है ना?

ठीक उसी तराहा साधना करना भी ज़रूरी है, हनुमान जी प्रति दिन 20 घंटे ध्यान ( मेडिटेट) करते थेप्रसन होकर घुल मिलकर सहजता या भोलेपन के साथ काम करोसाधना धीरज बनाती हैचमत्कार होता है की नही ?डबलचार्ज हो जाते हो ना ?

कुछ लोग होश से काम करते है, मस्त नही रहते.
कुछ सिर्फ़ मस्त रहते है, होश से काम नही करते.
ऐसे लोग लंगडे है, मस्ती और होश दोनो का ईस्तमाल करके चलना

आप देखे जो लोग मोबाइल का खूब इस्तेमाल करते है, तो उनके मोबाइल की बॅटरी मर जाती है, फ्लॅट हो जाती है.फिर आप उसे चार्ज करते हो फिर आप किसी से बात कर सकते हो.क्या मरा हुआ फोन कुछ काम का है ?क्या आप ऐसे फोन से किसी से बात कर पाएँगे ? अगर ऐसा करेंगे तो क्या दूसरा व्यक्ति आप को सुन पाएगा ? नही ना!

हमारी ज़िंदगी का भी कुछ ऐसा ही है. हम डेड सेल फोन की तरह काम करते रहते हैऔर हमे पता भी नही होता. साधना आप का चारजर हैइससे आप खुद से जुड़ सकते है

जब हम दुनिया से बात करते रहते है तो हमारी शक्ति कम हो जाती है, हम थक जाते हैतो साधना द्वारा हम फिर से उस शक्ति को जुटा पाते है, फिर हमारी प्राथना सुनी जाती है

मरे हुवे फोन से जैसे हमारी आवाज़ दूसरा कोई सुन नही पातामगर साधना द्वारा आप की आवाज़ ताकतवर हो जाती है और साधना प्राथना बनकर सुनाई दी जाती है