Fame
This feverishness of fame, of pride, of social recognition is immaturity. Just wake up and see there is nothing much in it. It’s an empty bowl.
प्रतिष्ठा का, अंहकार का, समाज में पहचान पाने का ज्वर बचपना है. जागो और देखो इसमें कुछ नहीं है. यह एक खली कटोरा है.
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