Thursday, August 7, 2008

8/3/2008

Love is sharing; love is expansion। You can't but love, because you want to expand! And nature of life is to expand. But we have learned and cultured all our habits to restrain ourselves, and that is why the Divine Love is not manifesting in our life fully.

प्रेम बाँटने के लिए है; प्रेम फिलाने के लिए है। तुम कुछ नहीं कर सकते केवल प्रेम के बिना , क्योंकि तुम फैलना चाहते हो! और जीवन की प्रकृति ही फिलना है। परन्तु हमने अपनी सारी आदतों को सीखा है और उन्नत किया है, अपने आपको रौकने के लिए, और इसी लिए ईश्वरीय प्रेम हमारे जीवन मैं पूर्णतया प्रर्दशित नहीं हो रहा है।

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