Saturday, January 3, 2009

1/2/2009

Dissolve in Love
In Divine love you cease to exist, you dissolve, like a pinch of salt that dissolves in water, a grain of sugar that disappears and dissolves and allows just that Divinity to be there.

इश्वर तुम्हारा अस्तित्व नहीं रहता, तुम मिल जाते हो, जिस तरह चुटकी भर नमक पानी में मिल जाता है, चीनी का एक दाना जो अदृश्य हो जाता है और मिल जाता है और केवल उस ईश्वरीय तत्त्व को ही वहां रहने देता है.

1 comment:

Anonymous said...

its beautiful....
anu julka
http://anujulka.blogspot.com