Friday, December 26, 2008

Teachings of Guru Sri Sri Ravishankar

Guruji outlines knowledge points so beautifully must read।

गुरूजी की सरल भाषा में जीवन के अनमोल मोती अवश्य पढिये
Teachings of Guru Sri Sri Ravishankar.doc

12/26/2008

God is…#3
God is love. Being in love is sharing that love.

इश्वर प्रेम है. प्रेम में होना उस प्रेम को बाँटना है

12/25/2008

God is…#2
God is joy. इश्वर आनंद है.

12/24/2008

God is…
God is peace.

इश्वर शान्ति है.

12/23/2008

You are the source of joy
You are the source of joy. You are the source of love. तुम आनंद के स्रोत हो. तुम प्रेम के स्रोत हो.

12/22/2008

Just Relax!
Take a while and just relax. Repose in the depth of your being.

थोड़ा समय निकालो और केवल आराम करो. अपने अन्तर की गहरे में विश्राम करो.

12/21/2008

Clogged
Every experience, when it is over done, every sense, brings nausea. Craving turns into aversion. And aversion continues, then it turns into craving. With this feverishness of aversion and craving the mind gets clogged, closed---it's unable to see the light deep within.

प्रत्येक अनुभव, जब मात्र से अधिक हो जाता है, प्रत्येक ज्ञानेंद्री, अरुचि पैदा करती है. लालसा घ्रिणा में परिवर्तित हो जाती है. और घ्रिणा बनी रहती है, जो लालसा में बदल जाती है. इसके साथ ग्रीना और लालसा का ज्वर मन् में रूकावट पैदा करता है---वेह अपने अन्दर के प्रकाश को देखने में असमर्थ रहता है.

12/20/2008

Limited Senses, Unlimited Desire
Actually, the real craving of the mind, of the being, is for Divine Love, for unlimited joy. Every sole is craving for unlimited joy, joy which has no boundaries, but senses cannot provide them with what they are searching for through the senses. The capacity to enjoy for our senses is limited. But the desire is unlimited. वास्तव में, मन की, जीव की लालसा, इश्वर्य प्रेम , असीम आनंद के लिए है. प्रत्येक आत्मा को असीम आनंद की लालसा है, आनंद जिसकी कोई सीमा न हो, परन्तु इन्द्रियां जिनके मध्यम से वेह उसे खोज रहा है वेह आनंद नहीं दे सकती. हमारी इन्द्रियों से प्राप्त होने वाला आनंद सीमित है. परन्तु इच्छा असीमित है.

12/19/2008

Observation is the Key
Craving never dies by experience---craving or aversion goes only through observation.

लालसा अनुभव से कभी नहीं मरती है---लालसा या ग्रीन केवल ध्यानपूर्वक देखने से जाती है

12/18/2008

Dropping the Craving
Dropping the craving in the mind, or aversion in the mind, for any particular sense objects, strengthens the mind---and only a strong mind can ever experience Divine Love. दिमाग से लालसा को हटाना, या दिमाग से ग्रीन को हटाना, किसी विशेष इंद्रिय विषय के लिए, दिमाग को मजबूत बनाता है---और केवल एक मजबूत दिमाग ही इश्वर्य प्रेम को अनुभव कर सकता है.

12/17/2008

The Family of Negativity
'Feverishness' will create anger, and that whole thing will go on like that. From anger you get attachment, jealousy, frustration---all this family of negativity will start. 'ज्वर'क्रोध उत्पन्न करता है, और सब कुछ उसी तरह का चलने लगेगा. क्रोध से तुम लगाव, इर्ष्या, निराशा मिलती है---यह सब तरह की नकाराक्तायें प्रारम्भ हो जाती हैं.

12/16/2008

Craving, Aversion, Feverishness
It is impossible to be without being with the five senses in the world---but the craving for it should drop. Because every craving or aversion creates a feverishness in the mind, and whenever the mind is in the grip of feverishness it is far away from love. पाँचों इन्द्रियों के बिना संसार में रहना असंभव है---परन्तु उसकी लालसा छूटनी चाहिए. क्योंकि लालसा और घ्रिना दिमाग में ज्वर उत्पन्न करती है, और जब भी दिमाग ज्वर के जकड में होता है वेह प्रेम से बहुत दूर हो जाता है.

12/15/2008

Love is Beyond
Love is beyond sight, touch, smell, taste, and sound. प्रेम दृष्टि, स्पर्श, गंध, स्वाद, और ध्वनि से परे है.

12/14/2008

Objects and Thoughts
Either we are with the objects of the senses or we are with the thought of the objects of the senses.
या तो हम इंद्रिय विषयों के साथ हैं या हम इंद्रिय विषयों के विचारों के साथ हैं.

12/13/2008

Spritual Blossoming
'Spiritual blossoming' simply means blossoming in life in all dimensions---being happy, at ease with yourself and with everybody around you.
'अध्यात्मिक रूप से खिलना' का अर्थ है जीवन में हर दिशा में खिलना---खुश रहना, आराम से रहना अपनेआप साथ तथा दूसरो के साथ जो तुम्हारे आस-पास हैं.

12/12/2008

A Path of Joy
The path of love is not a tedious path. It's a path of joy. It's a path of singing and dancing. It's not a desert. It is a valley of flowers.

प्रेम का रास्ता मुश्किल नही है.यह खुशी का रास्ता है.यह मस्ती (गाना और मस्ती मे नाचना) का रास्ता है.यह वीरान नही हेह.यह फूलो की घाटी है.

Thursday, December 18, 2008

12/11/2008

Who Can Guide You
One who has gone through a way, reached the goal, can guide you properly. वेह जो राह पर चल चुका है, मंजिल को पा चुका है, तुम्हारा ठीक तरह से मार्गदर्शन कर सकता है.

12/10/2008

Blaming the Divine
Anything you blame in this creation, you are blaming the Divine. इस सृष्टि में तुम जिस किसी पर आरोप लगते हो, तुम इश्वर पर आरोप लगते हो.

12/9/2008

Continue Arguing
Look at this arguing mind. This is what you have been carrying all these years---and you want to continue carrying it? इस विवाद करते दिमाग को देखो. येही तुम इतने सालों से धोते आ रहे हो---और तुम इसे जरी रखना चाहते हो?

2/8/2008

Stiffness Gets Slapped!
In life, any time you become stiff---and there you get a slap! Become soft; smile there. Any stiffness, life just smoothens it out, evens it out, in you.
जीवन में, किसी भी समय तुम कड़े हो जाते हो---और तभी तुम तमाचा खाते हो! नरम हो जाओ; वहां मुस्कराओ. कोई भी कडापन, जीवन चिकना कर देता है, ठीक कर देता है, तुम में.

Sunday, December 7, 2008

12/7/2008

Feverishness
When feverishness clogs your head, your mind is not clear; a poetry cannot dawn on that. If there is feverishness, any creative thought will not come.

जब ज्वर तुम्हारे सर में भर जाता हो, तुम्हारा दिमाग खली नहीं हो; कविता नहीं आरंभ कर सकते. यदि वहां ज्वर है, कोई भी रचनात्मक विचार नहीं आयेंगे.

12/6/2008

How big is your mind?
One single thought in the mind can restrict your awareness, the totality of awareness. How big is your mind? How vast is your life? There are so many things in life. One small, insignificant thought, insignificant thing, can clog and cloud your whole awareness. तुम्हारे दिमाग में एक अकेला विचार तुम्हारी सजगता को रोकता है, पूर्ण सजगता. तुम्हारा दिमाग कितना बड़ा है? तुम्हारा जीवन कितना फैला है? इस जीवन में बहुत सारी चीज़ें हैं. एक छोटा , लघु विचार, चोटी वस्तू, तुम्हारी सारी सजगता को रोक सकती है.

12/5/2008

Shoulds
Your concept in the mind that things should be a certain way causes pain in the mind. The cause of distress is set concepts in the mind.

तुम्हारे दिमाग में यह विचार की हर चीज़ एक निश्चित रूप से होनी चाहिए दिमाग में दर्द उत्पन्न करती है. दिमाग में विचार स्थापित करना ही तनाव का कारण है.

12/4/2008

One Consciousness
It's one consciousness that has become the body, has become the mind, intellect, emotions, ego, self. Everything that you have in you is made up of one consciousness---like every wave of the water is made up of the water itself, and nothing other than the water.

एक ही चेतना है जो शरीर बन गई है, दिमाग बन गई है, बुद्धि, भावनाएं, अंहकार, आत्मा. तुम्हारी हर चीज़ जो तुम में है एक ही चेतना से बनी है---जैसे हर पानी की लेहर पानी से ही बनती है, और पानी के आलावा कुछ और नहीं.

12/3/2008

Whirlpool
This consciousness is like a lake. And the inner faculties of the mind are like a whirlpool in there.

यह चेतना एक तालाब के समान है. और दिमाग अंदरूनी यग्यता भंवर के समान है.

12/2/2008

Already Connected
The moment you feel a connection from your side---just know, you have already been connected; otherwise, you won't even come anywhere near this knowledge, this path.

जिस घड़ी तुम्हे अपनी तरफ़ से सम्बन्ध महसूस हो---केवल यह जानो, तुम पहले से ही जुड़े हो; नहीं तो, तुम इस ज्ञान, इस मार्ग के समीप भी नहीं आ पते.

12/1/2008

No Rejects!
A master is like an ocean. Ocean is there, readily available. It does not reject anybody.

गुरु सागर के समान होता है. सागर वहां, तत्पर उपलब्ध है. वेह किसी को नापसंद नहीं करता है.

11/30/2008

Transformative
Awareness, understanding, experiencing the life energy down inside, can bring huge transformation.

सजगता, समझ, जीवन की उर्जा को अनुभव करना, बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं.

11/29/2008

Pain vs. Thought of the Pain
It's not the pain that is bothering us; it is the thought of the pain that bothers one. It's not the situation that one is troubled with, but the fear of the situation that is troubling one.

यह दर्द नहीं है जो हमें व्याकुल कर रहा है; यह दर्द का विचार ही हमें व्याकुल कर देता है. यह स्थिति नहीं है जिस से हम परेशान होते हैं, परंतु स्थिति का डर हमें परेशान करता है.

11/28/2008

What do you Want in Life?
What is it that one wants in life? It is joy, is love. And that is one's very nature.
वेह क्या है जो जीवन में चाहिए? वेह खुशी है, प्रेम है. और यह हमारी प्रक्रति है.

11/27/2008

Intense Joy
When we get in touch with the source of life, then all of other tensions, worries which have been clouding this manifestation, fall off and we can sing, dance, and be happy. Life can become very intense, intense in the sense of being joyful.

जब हम जीवन के स्रोत के साथ जुड़ते हैं, तब सब तनाव, चिंताएँ जो इस प्रदर्शन को घेरे रहती हैं, गिर जाती हैं और हम गा सकते हैं, नाच सकते हैं, और खुश हो सकते हैं. जीवन बहुत तनावपूर्ण हो सकता है, खुश रहने के तात्पर्य से तनावपूर्ण.

11/26/2008

Untouched
The very purpose for being in this body, for every one of us, is to live and rejoice in that virgin area, that untouched, pure and ever green, blissful area of our Self.

इस शरीर में होने का एक मात्र उद्देश्य है, हम सब के लिए, जीने के लिए है और उस पवित्र जगह में खुश रहने के लिए, वेह अच्चूत, शुद्ध और सदा बहार, तुम्हारी आत्मा की आनंदमयी जगह.

11/25/2008

A Point In Us
There is a point in us that will remain ever pure, total joy, and bliss---bliss that can never be taken away from us.
हम में एक बिन्दु है जो सदा शुदा है, सम्पूर्ण खुशी, और आनंद---आनंद जो कभी हमसे दूर नहीं किया जा सके.

11/24/2008

I Am Not the Body
This definite knowledge, that I am not the body, I am the Self, I am the space, I am the Imperishable, untouched, untainted by the "prakriti," by this world around me; this body is all hollow and empty, and every particle in this body is changing, and changing, and changing; the mind is changing and changing and changing---this definite knowledge is *the* way out of the cycle
यह उचित ज्ञान, की मैं शरीर नहीं हूँ, मैं आत्मा हूँ, मैं आकाश हूँ, मैं अनंत हूँ, अछूत, “प्रकृति” जिस से दूषित नहीं है, मेरे चारों और इस संसार से; यह सम्पूर्ण शरीर खोखला और खली है, और इस शरीर का हर एक अनु परिवर्तित हो रहा है, और परिवर्तित हो रहा है, और परिवर्तित हो रहा है; चित्त परिवर्तित हो रहा है, और परिवर्तित हो रहा है, और परिवर्तित हो रहा है---यह उचित ज्ञान ही इस चक्र से बहार निलकने का रास्ता है.

11/23/2008

The Way Out of Ignorance
The way to come out of ignorance is a definite understanding, a definite knowledge in the mind, that my body is undergoing change all the time, the world is undergoing change all the time, the entire universe is in a state of fluidity and it is all full of change and it is going on on its own, according to its nature.
अज्ञानता से बहार निकलने का एक रास्ता है उचित समझ, चित्त में उचित ज्ञान, की मेरा शरीर हर समय परिवर्तित हो रहा है, संसार हर समय परिवर्तित हो रहा है, सम्पूर्ण सृष्टि तरल अवस्था में है और वेह पूर्ण रूप से परिवर्तन में है और यह अपने आप होता चला आ रहा है, अपनी प्रवृति के अनुसार.

11/22/2008

Observe, Don't Identify
Observe the tendencies that come up in you, and do not think you *are* those tendencies. तुम में जो प्रवितियाँ आती हैं , उन्हें देखो, और यह मत सोचो की तुम वेह प्रवितियन हो.

11/21/2008

God Loves Fun
EnglishNature loves to give you surprises। God loves fun. He always gives you surprises---sometimes pleasant, sometimes unpleasant. And you grow by unpleasant as well as by pleasant. In fact you grow much more by unpleasant surprises than the pleasant ones.
सृष्टि तुम्हे आश्चर्यचकित करना पसंद करती है. इश्वर खेलना पसंद करता है. वेह हमेशा तुम्हे आश्चर्यचकित कर देता है---कभी प्रिय, कभी अप्रिय. और तुम अप्रिय और प्रिय से बढ़ते हो. जबकि तुम अप्रिय आश्चर्यों से बहुत बढ़ते हो प्रिय की अपेक्षा.

11/20/2008

Meditation and Death
Meditation is very similar to this experience of void. In meditation you realize you are not just the body, but you are more than the body. That annihilates the fear of death.
ध्यान शून्य को अनुभव करने के समान है. ध्यान में तुम जानते हो की तुम केवल शरीर नहीं हो, परन्तु शरीर से भी कई अधिक हो. यह मृत्यु का डर मिटा देता है.

11/19/2008

Sorrow
Sorrow needs to be lived through and gotten rid of। It should not be suppressed.
दुःख के साथ भी जीओ और तब तुम उस से छुटकारा पा जाओगे। उसे अपने भीतर दबाओ नहीं.

11/18/2008

The Formless
The formless is ruling your life. The formless is ruling the world. And there is a greater formlessness that is ruling the entire creation. And you are the center of that greater formlessness, whatever you call it---God, Consciousness, No-Mind, Nirvana, Spirit, anything you call it by name.
निराकार तुम्हारे जीवन को चलता है. निराकार तुम्हारे संसार को चलता है. और सबसे महान निराकार जो सम्पूर्ण सृष्टि को चलता है. और तुम उस महान निराकार का केन्द्र हो, जो भी तुम उसे बुलाओ---इश्वर, चेतना, नो-मंद, निर्वाण, स्पिरिट, तुम जीसी भी नाम से उसे बुलाते हो.

11/17/2008

Knowledge of Death
Knowledge of death makes you immortal. It's wrong to even say, "makes you immortal." It makes you aware that you are immortal, anyway.

मृत्यु का ज्ञान तुम्हे अमर बनाता है. यह कहना भी ग़लत है, “तुम्हे अमर बना देता है.”

11/16/2008

Fear
Lack of understanding of life causes fear. People are afraid of love, people are afraid of meditation, people are afraid of death, people are afraid of themselves. Ignorance, lack of awareness, is cause of fear. Just a glimpse of the Being, of the Self that you are, that you are beyond death, roots out the fear totally.

जीवन को समझने का अभाव डर को उत्त्पन्न करता है. लौग प्यार से डरते हैं, लौग ध्यान करने से डरते है, लौग मरने से डरते हैं, लौग ख़ुद से डरते हैं. अज्ञानता, जागरूकता की कमी, डर का कारण है. अपने अस्तित्व की एक झलक, आत्मा की जो तुम हो, तुम मृत्यु से भी आगे हो, डर को जड़ से निकल देती है.

11/15/2008

The Sattvic Intellect
The sattvic intellect is one that just does the job joyfully and is unmindful of the results. Let things happen or not happen---either way they don't lose their enthusiasm.
सात्विक बुध्धिजीवी वेह है जो अपना कार्य खुशी से करता है और फल की नहीं सोचता है. काम चले या नहीं चले---किसी भी तरह वेह अपन उत्त्साह नहीं खोते.

11/14/2008

Every Inch Filled with Bliss
For one who has awakened in knowledge, there is no more suffering. The world appears completely different. For him every inch of this creation is filled with bliss, is a part of the Self.
वेह जो ज्ञान में जगता है, उसे दुःख नहीं उठाना पड़ता है. संसार अलग ही नजर आता है। उसके लिए इस सृष्टि का प्रत्येक इंच आनंद से भरा है, आत्मा का अंश है.