Friday, December 26, 2008

12/21/2008

Clogged
Every experience, when it is over done, every sense, brings nausea. Craving turns into aversion. And aversion continues, then it turns into craving. With this feverishness of aversion and craving the mind gets clogged, closed---it's unable to see the light deep within.

प्रत्येक अनुभव, जब मात्र से अधिक हो जाता है, प्रत्येक ज्ञानेंद्री, अरुचि पैदा करती है. लालसा घ्रिणा में परिवर्तित हो जाती है. और घ्रिणा बनी रहती है, जो लालसा में बदल जाती है. इसके साथ ग्रीना और लालसा का ज्वर मन् में रूकावट पैदा करता है---वेह अपने अन्दर के प्रकाश को देखने में असमर्थ रहता है.

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