Joy / Not Joy
This is what we see in the world today: everyone is moving towards joy, but people are not joyful। They are the opposite---miserable। Because they are clinging on to the sense objects rather than the source of joy.
येही है जो हम आज के संसार मैं देखते हैं, हर एक व्यक्ति खुशी की और जा रहा है, परन्तु लौग खुश नहीं हैं । वे इसके विपरीत हैं---दुखित हैं , क्योंकि वे खुशी के स्रोत की जगह इंद्रिय विषयों से बंधे हुए हैं ।
Saturday, June 21, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment