Tuesday, June 24, 2008

6/9/2008

Limited Senses
Our senses have a limited capacity to enjoy, but the desire in the mind to enjoy is infinite। This is where opposition begins: the mind wants to enjoy, but your body is too tired to enjoy।

हमारे इन्द्रियों की आनंदित करने वाली शक्ति सीमित है, परन्तु मन मैं आनंदित होने की अभिलाषा अनंत है।
यहीं से विरौध आरंभ होता है: मन आनंदित होना चाहता है, परन्तु तुम्हारा शरीर इतना थक चुका है की वह आनंदित नहीं हो सकता।

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