Tuesday, June 24, 2008

6/8/2008

No End to it
There is no end to moving from scene to scene, from person to person, from thing to thing---whole life could be spent doing that। You can spend a whole life। But if you think joy is there, then uniting cannot happen, then you cannot bring all the strings of your Self together.

इसका कोई अंत नहीं है एक दृश्य से दुसरे दृश्य की और जाना, एक व्यक्ति से दौसरे व्यक्ति, एक वस्तु से दूसरी वस्तू की और जाना---सारा जीवन यही सब करते बीत जाता है। तुम सारा जीवन व्यतीत कर सकते हो, पर अगर तुम सौचते हो की खुशी इसी मैं है, तो एकता नहीं हो सकती। तुम स्वयमं के सारे धागे एकत्र नहीं कर सकते।

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