A Wall of Pride
If you want to grow in Divine Love, you have got to drop the pride and all of the artificial wall we build between ourselves and others. In the "wall" we keep judging others, and we think others are judging us.
यदि तुम इश्वर्य प्रेम में बढ़ना चाहते हो, तुम्हे अपना अंहकार और जो हम अपने और औरों के बीच में अप्राकृतिक दीवार कड़ी कर लेते हैं उसे छोडना होगा. "दीवार" में हम औरों को जांचते रहते हैं, और हम सौचते हैं की दौसरे हमे जाँच रहे हैं.
Wednesday, September 10, 2008
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