Nothing But You -- Pt 1
Oh, Dear, this creation is a celebration of Thy Presence. I see You in the leaves, in the petals, In the stem, and in the thorns And in the unseen roots, It's all You, and You, and You. Nothing but You ओह, प्रिय, यह सृष्टि ईश्वर की उपस्थिति का उत्सव है. मैं तुम्हे पत्तों मैं, पंखुरियों मैं, ताने मैं, और कांटे मैं और उन्देखी जड़ों मैं देखता हूँ , सब तुम ही हो, और तुम, और तुम. कुछ भी नहीं केवल तुम.
Wednesday, September 10, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment