Sunday, September 21, 2008

9/21/2008

Heart and Intellect
Listen from your heart. Soak into it. Observe. That is your home. And your brain, your intellect is like a car; it's the motor that drives you there. But even after getting into your garage, if you refuse to step out of your car, you will never enjoy your home.
अपने दिल से सुनो. इसमें भिगो. दयां दो. वेह तुम्हारा घर है।
और तुम्हारा दिमाग, तुम्हारी बुद्धि कार की तरह है, मोटर ही तुम्हे वहां ले जाती है. परन्तु तुम्हारे गराज मैं घुसने के बाद, यदि तुम अपनी कार से बहार निकलने से मना कर देते हो, तुम अपने घर का कभी आनंद नहीं ले पाओगे.

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